एक अनूठा मंदिर…जहां प्रसाद की जगह चढ़ते हैं घोड़े!!
जी हां, वाकई मंदिर में प्रसाद की जगह चढ़ते हैं घोड़े और वे भी सफेद घोड़े, लाल घोड़े, पीले, काले, नारंगी, हरे घोड़े..बस घोड़े ही घोड़े। आप देखकर अचरज में पड़ जाएंगे क्योंकि मंदिर में तो नारियल- चिरौंजी या लड्डू-पेड़े चढ़ते हैं तो फिर इतने घोड़ों का क्या काम। दरअसल समझने के लिए हम कह सकते हैं कि यहां प्रसाद के रूप में घोड़े अर्पित किए जाते हैं। अरे रुको जरा…आपकी बड़ी होती आंखों को थोड़ा छोटा कर लीजिए और कंफ्यूज मत होइए। हम बात कर रहे हैं खिलौने वाले घोड़ों की, न की असल की..आखिर, कितना भी बड़ा मंदिर हो वहां सैकड़ों घोड़े कैसे बन पाएंगे? लेकिन असलियत यही है कि कहानी असल घोड़ों से ही शुरू हुई थी..जो बदलते वक्त के साथ जरूर खिलौने वाले घोड़ों में तब्दील हो गई है। तो पहले जानते हैं असल घोड़ों की कहानी…महाभारत का युद्ध शुरू होने में बस कुछ ही दिन बचे थे। कौरवों की विशाल सेना और तैयारियों को देखकर पांडवों का मन भय से भरा था और वे कुछ विचलित नज़र आ रहे थे। यह बात युद्ध भूमि में गीता उपदेश के भी पहले की है। भगवान श्रीकृष्ण पांडवों के मन को पढ़कर मुस्कुराते हुए बोले- “जाओ, पहले माँ भद्रक...